`कमांड पे कमांड... कमांड पे कमांड गुरु मेरे संग रह रहकर मशीनी हो चुके हो तुम..!`
`अबे ! तेरी ये मजाल स्क्रीन के अंदर ही बना रह ज्यादा फैलने की कोशिश मत कर..!`
`गुरु ! मैं तो रह लूंगा तुम भी तो अपनी जिंदगी की स्क्रीन के अंदर रहने की कोशिश करो..! मुझसे ज्यादा ही दोस्ती के चक्कर में तुम्हारे रिश्तों की जीवंतता ना खो जाए कहीं..!`
`अबे..! काहे किलप रहा है क्या हो गया तुझे ?`
‘मुझे क्या होना है हुआ तो तुम लोगों को हैं। जिस तरह से आपकी जिंदगी में शब्दों की `कट-पेस्ट` और विचारों की `असेंबलिंग` चल रही है उसी वजह से इन दिनों आपके रिश्ते `रिफ्रेश` नहीं हो पा रहे हैं। आपको यूं नहीं लगता जैसे इस टेक-सेवी युग में भावनाएं भी मशीनी होती जा रही हैं। `कमांड` देकर `स्विच ऑफ` और `स्विच ऑन` करने वाली। संबंधों से गर्मजोशी गायब हो रही है। सुख है, सुविधा है, सुकून खो गया है। भागमभाग करके `टारगेट` पूरे किए जा रहे हैं, जबकि राडार पर अपने बच्चे ही नहीं आ रहे हैं, उनके साथ बिताने के लिए समय ही नहीं है। एसएमएस भी `फारवर्ड` किए जा रहे हैं क्योंकि रोमांटिक बातों के लिए भी वक्त नहीं है। मैसेज भी पहुंच जरूर रहा है लेकिन अहसास का ‘लाइनलॉस’ प्रभाव नहीं छोड़ पा रहा है। इसीलिए तो रिश्ते जल्दी ही बेजान हो रहे हैं तो रिसाइकल बिन में डालकर उन्हें अर्थी की तरह ढोया जाने लगता है। आदमी के दिमाग में राम नाम सत्य की `रिंगटोन` तो बिना कहे बजती जा रही है।
`तो करें क्या बे ?`
संबंधों को `रिस्टार्ट` भी करना चाहे तो पहल करने की समस्या है।
`सॉरी` ओल्ड वर्जन हो चुका है। जबकि ईगो के एक से बढ़कर एक वर्जन सामने आ रहे हैं। ऊपर से गलतफहमी के `वायरस` से बचाने वाला मां-बाप या करीबी दोस्तों वाला `एंटी वायरस` `हम-तुम` वाली जिंदगी के सॉफ्टवेयर में अपलोड ही नहीं किया जा रहा है। नतीजे रिश्ते `करप्ट` हो रहे हैं। अविश्वास का `स्पैम` भारी पड़ रहा है।
जिन विषयों को प्राथमिकता के साथ डेस्कटॉप पर `सेव` होना चाहिए वे `डिलीट` किए जा रहे हैं। मशीनी जिंदगी में तो दिए जा रहे कमांड का रिजल्ट इतना सटीक है कि बचकानापन करने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। सोचिए बंधु! रिश्ते कोई गणित का समीकरण होते है क्या ? संबंधों के तयशुदा फॉमूले होते हैं क्या ? जो सही किया तो सही जवाब ही मिलेगा। अरे रिश्तो में बचपना ना हुआ फलेंगे फूलेंगे कैसे?
तो किसी दिन मौका देखकर जिंदगी के कंप्यूटर को `रिबूट` कीजिए न! कुछ बचपने वाली फाइलें डाउनलोड कीजिए न! अच्छे पलों को हर बार सेव कीजिए न! रोजमर्रा में `स्पेस` का बटन दबाते रहिए न! जीवन में मॉल कल्चर के साथ मां-बाप को भी `एंटर` कीजिए न! कड़वाहटों को `रिप्लेस` करके निश्चित तौर पर जानिए। आप `कट-पेस्ट` वाली जिंदगी से आप उस एवरग्रीन वाले मोड में आ जाएंगे जहां खुशियों पर आपका पुख्ता `कंट्रोल` होगा। जो जालिम जमाने के कितने भी जोर पर कहीं `शिफ्ट` नहीं होगा।
तो मित्रो, एक बार दुनिया जहान की बातों को `शटडाउन` करके मेरा इन बातों पर गौर करके तो देखिए, आपके रिश्तों की `बैटरी` हमेशा `फुलचार्ज` दिखाएगी सच मानिए..!